कब चढता है रोमांस का फीवर...

कब चढता है रोमांस का फीवर...

सेक्स की चाह कच्ची उम्र में किसी विशेष परिवेश में उत्तेजित होकर और महज उत्सुकतावश की गई शुरूआत भी आगे चल कर इस हसीन अनुभव को पेशे में बदल देती है। जिन लडकियों को इन क्रियाओं में मजा आने लगता है, वे स्वयं ही इस गलती को आदत में बदल देती हैं चाहे जो भी हो, कामपिपासा की अधिकता, हर समय सेक्स की चाह सेक्स एडिक्ट की दशा ही दर्शाती है, जिसे हम मनोरोग मान बैठते हैं। अधिकांश मामलों में बचपन में सेक्स के बारे में गलत जानकारी मनमस्तिष्क पर गहरा प्रभाव डाल जाती है। दू�ष्ात माहौल में रहना, बडे शहरों में एक ही कमरे मे अनेक महिला-पुरूषों का एकसाथ सोना, सेक्स क्रिया में रत किसी जोडे को देख लेने के बाद स्वयं भी सेक्सरत होने की इच्छा पालना आदि सेक्स कुंठाओं को बढा देता है।