ततैया का जहर फेफड़े की बीमारी में लाभकारी

ततैया का जहर फेफड़े की बीमारी में लाभकारी

न्यूयॉर्क। एमआईटी के इंजीनियरों ने नया एंटीमाइक्रोबियल पेप्टाइड्स(सूक्ष्मजीवीरोधी अम्लों की छोटी शृंखला) विकसित किया है, जो श्वसन और अन्य संक्रमण को फैलाने वाले जीवाणुओं पर काबू पा सकता है। इसे एक दक्षिण अमेरिकी ततैया द्वारा स्वाभाविक रूप से उत्पन्न होने वाले पेप्टाइड से तैयार किया गया है।

ततैया या मधुमक्खियों जैसे कीटों का जहर उन अवयवों से भरपूर होता है, जो जीवाणुओं को मारते हैं। दुर्भाग्यपूर्ण है कि इसमें से कुछ अवयव लोगों के लिए जहरीले भी होते हैं, जिस वजह से इसका एंटीबायोटिक दवाइयों के रूप में इस्तेमाल करना असंभव हो जाता है।

चूहों पर हालांकि किए गए अध्ययन में, समूह ने सामान्यत: दक्षिण अमेरिकी ततैया में पाए जाने वाले जहर पर पुन: अध्ययन किया। समूह ने पेप्टाइड के ऐसे दूसरे प्रकार बनाने की कोशिश की, जो जीवाणुओं के संक्रमण रोके और मानव कोशिकाओं के लिए जहरीला न हो।

उन्होंने पाया कि सबसे मजबूत पेप्टाइड जीवाणु के एक प्रकार(स्यूडोमोनास एरूगिनोसा) को पूरी तरह समाप्त कर सकता है, जिससे श्वसन, मूत्र पथ संक्रमण जैसी समस्याएं उत्पन्न होती हैं।

एमआईटी में एक अध्ययनकर्ता सीजर डी ला फ्यूंटे-नूनेज ने कहा, ‘‘इन पेप्टाइड की संरचना और कार्यप्रणाली का प्रणालीगत तरीके से अध्ययन करने के बाद, हम उनकी गतिविधि और गुणों का खुद के अनुकूल बनाने में सक्षम हैं।’’ समूह ने पेप्टाइड को जीवाणुओं के सात स्टैन(उपभेदों), कवकों में प्रयोग किया।

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