विटामिन डी की कमी से स्वास्थ्य पर पडता प्रभाव
स्वस्थ और निरोग रहना कौन नहीं चाहता है, जिसमें महिलाएं तो अपनी उम्र से
हमेशा ही कम ही दिखने की चाहा रखती हैं। उम्र चाहे उनकी 30 की हो लेकिन
दिखना 21 की चाहती हैं तो इसके लिए उन्हें सभी आवश्यक विटामिनस का समुचित
मात्रा में सेवन करना चाहिए, ताकि आप पूर्ण तौर पर स्वस्थ रहें। विटामिन डी
कैल्शियम हçड्डयों को मजबूत बनाता है। यह शरीर में होने वाली टूट-फूट में
मरम्मत करता है, यदि आप पर्याप्त मात्रा में विटामिन डी का सेवन करती हैं।
तो हçड्डयों से जुडी बीमारियों से बची रह सकती हैं। विटामिन हमारे शरीर न
सिर्फ मांसपेशियों को मजबूत बनाता है, बल्कि शरीर में आस्टियोकैल्किन नामक
प्रोटीन के निर्माण में भी मदद करता है, जो बोन मांस को बढाता है। जिससे
फ्रे`र के खतरे कम हो जाते हैं।
विटामिन डी के प्राçप्त के साधन
विटामिन डी केवल प्राणिज्य पदाथोंü में ही पाया जाता है। वनस्पति जगत में
यह बिल्कुल नहीं प्राप्त होता है। इसके मुख्य स्त्रोत मछली का तेल, वेसीय
मछली, अण्डा, मक्खन पनीर, वसायुक्त दूध तथा घी हैं। सूर्य की किरणों के
द्वारा भी हमें विटामिन डी मिलता है। इसका सबसे अच्छा और सस्ता स्त्रोत धूप
है। शरीर को जरूरी विटामिन डी की मात्रा रोजाना पांच मिनट धूप में रहने से
मिल सकती है। हमारी स्किन में एगेंüस्टरॉल नामक एक पदार्थ होता है, जो
सूर्य की पराबैंगनी किरणों के प्रभाव से विटामिन डी में बदल जाता है।
महिलाओं के ये 6 राज जान चौंक जाएंगे आप
पत्नी को नींद न आए,नींद पूरी न हो तो समझो
विटामिन डी की कमी का प्रभाव
विटामिन डी की कमी से कैल्शियम तथा फास्फोरस आँतों में शोषित नहीं हो पाते
हैं,परिणामस्वरूप अस्थियों तथा दाँतों पर कैल्शियम नहीं जम पाता है। जिसके
फलस्वरूप वे कमजोर हो जाते हैं। दुर्बल हçड्डयाँ शरीर का भार नहीं सह
पातीं और उनमें अनेक प्रकार सकी विकृतियाँ उत्पन्न हो जाती हैं। इसकी कमी
से चार प्रकार के रोग होते हैं। रिकेट्स, पेशीय मरोड, अस्थि विकृति या
आस्टोमलेशिया हैं। महिलाओं में विटामिन डी की कमी अनेक प्रभाव उत्पन्न
करती है शोधकर्ताओं ने अपने शोध में कहा है कि इसकी कमी से फेफडों की बनावट
और कामकाज में अंतर आ जाता है। तथा इनकी कार्य करने की क्षमता मे कमी आती
है, साथ ही फेफडें सिकुड भी जाते हैं। और इस वजह से वायु को बहुत ज्यादा
प्रतिरोध का सामना करना पडता है।
1-गर्भवती महिलाओं को तरह-तरह की समस्याओं से होती है। गर्भवस्था में
मल्टीपल सिरोसिस का खतरा बढ जाता है, जिसका कारण विटामिन डी की कमी होना
है।
2-विटामिन डी की कमी से हçड्डयों की सतह कमजोर पड जाती है। जिससे हçड्डयों से जुडी कई समस्याओं का जन्म होता है।
3-शरीर के भार का केंद्र कमर होती है। रीढ की हड्डी पूरी तरह कमर पर टिकी
होती है। यदि विटामिन डी की कमी हो, तो रीढ के लिए शरीर का भार ढोपाना एक
चुनौती बन जाती है।
4-विटामिन डी आंखों के लिए लाभदायक है। एक रिसर्च के अनुसार इसके सेवन से
पास की चीजों को देखाने में होने वाली दिक्कत में सुधार होता है।
5-विटामिन डी की कमी से लडकियों में किशोरावस्था में दिक्कत आ सकती है। इससे उन्हें सांस लेने संबंधी बीमारी भी हो सकती है।
6-विटामिन डी की मात्रा और शरीर में मोटापे के सूचक बॉडी मास इंडेक्स, कमर
का आकार और स्कीन फोल्ड रेशीओं में गहरा संबंध है। जिन महिलाओं में विटामिन
डी की कमी थी, उनमें विटामिन डी की मात्रा अधिक होने वालियों की
अपेक्षाकृत मोटापा तेजी से बढता है।
7- अगर महिलाएं शुरू से अपने खाने में विटामिन डी का सेवन करती रहें,तो
उन्हें रजोनिवृति के बाद हçड्डयों से जुडी समस्याओं का सामना कम करना पडता
है।
घरेलू उपाय से रखें पेट साफ
मुनक्का के 5 सेहतभरे लाभ
#परिणीती का मस्त Style देखकर आप भी कहेंगे हाय!