बोलने में छुपा है हैल्थ का राज

बोलने में छुपा है हैल्थ का राज

बोलने की क्रिया मानव जीवन का अभिन्न अंग है। इसके अभाव में मनुष्य का सामाजिक जीवन कठिन है। मानव अपनी ज्ञानेन्द्रियों द्वारा वातावरण की जिन घटनाओं व स्थितियों को देखता, सुनता, अनुभव करता एवं समझता है उसके प्रति उसके मन में प्रतिक्रिया अनिवार्य रूप से होती है। आज अनेक मनोवैज्ञानिक प्रयोगों, शोधों एवं पर्यवेक्षणों द्वारा यह सिध्द हो चुका है कि मानव मन के अंदर संपादित प्रत्येक क्रिया-प्रतिक्रिया की अभिव्यक्ति अनिवार्य है चाहे अभिव्यक्ति किसी भी रूप में हो।