बोलने में छुपा है हैल्थ का राज
मनुष्य क्रियाओं का संबंध उसके स्वास्थ्य से किसी न किसी रूप में होता है। या तो उसकी क्रिया उसके स्वास्थ्य को प्रभावित करती है या उसका स्वास्थ्य उसकी क्रियाओं को प्रभावित करता है। ज्यादातर यह संबंधी द्विमुखी ही होता है यानी व्यक्ति की क्रिया उसके स्वास्थ्य को प्रभावित करती है एवं उसका स्वास्थ्य भी उसकी क्रियाओं पर किसी न किसी प्रकार प्रभाव डालता है लेकिन बोलने की क्रिया का भी व्यक्ति के स्वास्थ्य से संबंध हो सकता है, यह थोडा अजीब सा लगता है। जिस प्रकार मनुष्य की अधिकांश शारीरिक-मानसिक क्रियायें यथा-ह्वदय धडकना, नाडी चलना, सांस लेना, रक्त का परिसंचरण होना, सोचना, चिंतन करना, समझना इत्यादि स्वास्थ्य से संबंधित होती हैं ठीक उसी प्रकार उसकी बोलने की क्रिया भी स्वास्थ्य से संबंध रखती है। अत: व्यक्ति का कम या ज्यादा बोलना उसके स्वास्थ्य को प्रभावित करता है।