नया साल लाये नई उमंग
नवीनता उस रूप में ही सब के द्वारा अपनाने लायक होती है, जिस में शालीनता हो तथा जिस में सब के भले की भावना हो। कोई भी नया दौर संपूर्ण सतुष्टि नहीं दे सकता। किसी भी नवीन कल्पना के अच्छे-बुरे दोनों पहलुओं का होना शाश्वत सत्य है। ये एक दूसरे के पूरक भी होते हैं, किन्तु इन के मध्य का संतुलन ही समाज में पल्लवित हो सकता है और अपना स्थान बना सकता है।