बॉडी पर नमक-चीनी और मसालों का प्रभाव
त्यौहारों के आते ही घर व बाजारों में तरह-तरह के व्यंजनों की भरमार शुरू हो जाती है ऎसे में हमारा मन को मसालेदार, तीखा खाने से रोक नहीं पाते और ऊपर से मेहमानों का आना-जाना लगा ही रहता है कभी चाय, समोसे, मिnयां आदि को खाते रहना और यही नहीं बरसात के आते ही हमारा मन मसालेदार तले पकौडों के साथ में गरमगरम चाय पीने को मन करता है पकौडों पर डाल हुआ मसाला तीखापन जब चाय के मीठे से मिलता है। तो उस समय चाय का स्वाद फीका सा लगने लगता है और फिर हम बिना कुछ सोचेसमझे चाय में स्वाद बढाने के लिए 1 या 1/2 चम्मच चीनी और डाल देते हैं। बदलते मौसम में यह पता ही नहीं चलता कि जाने आजाने में खानेपीने की उठती तलब को शांत करने और अपनी जाबान का टेस्ट के चक्कर में हम अनजाने में अपने खानपान में मिर्चमसालों, नमक और चीनी का मात्रा बेवजह ही बढाते रहते हैं। कुछ समय के लिए तो हमारे खाने को टेस्ट अच्छा हो जाता है। लेकिन परेशानी तो उसके बाद शुरू होती है। जो बहुत ही कष्टप्रद होते है क्योंकि ये गंभीर शारीरिक और मानसिक रोगों का कारण बनते है। हमारे शारीरिक, मानसिक विकास के लिए भोजन का बहुत अधिक महत्तव है। इसके लिए नमक, चीनी और मसालेदार खाने का महत्तव है। लेकिन इन सबकी मात्रा सीमित होनी चाहिए तभी यह शरीर को फायदा भी पंहुचता है। अगर यह खाने में जरूरत से ज्यादा हो जाएं तो ये शरीर को लाभ की जगह नुकसान पहुंचता हैं।