शिक्षक से मिलता है विधा का वरदान

शिक्षक से मिलता है विधा का वरदान

शिक्षक दिवस माने साल में एक दिन बच्चें द्वारा टीचर्स को भेंट किया गया एक गुलाब का फूल या कोई भी गिफ्ट। नहीं यह टीचर दिवस मनाने का सही तरीका नहीं है। टीचर्स डे हम सभी मनाते आए है। आपने भी मनाया है। हमने भी मनाया है। लेकिन इस दिन को मनाना तभी सही मायने में सार्थक सिद्ध होगा जब आप अपने टीचर के प्रति सही नजरिया रखें। पिछले कुछ ही समय में ऎसी कई घटनाएं देश और दुनिया में घटी है जो आपके व्यवहार, वातावरण और संस्कारों के अनुरूप नहीं है। चाहे वह घटना सभरवाल कांड हो या फिर किसी शिक्षक द्वारा भरी क्लास में या एकांत में स्कूली छात्रा के कपडे का नाप लेना हो। या फिर किसी शिक्षक द्वारा बच्चे के कपडे उतारकर उसे दंडित करना हो। यह सब बातें हमें किस ओर इंगित करती है। यह समझना आज बहुत जरूरी हो गया है। या तो शिक्षक वो शिक्षक नहीं रहे जो अपने छात्रों को वह सही संस्कार दे सकें। या फिर आजकल के शिक्षकों में अहंकार, अत्याचार, ईर्ष्या और द्वेष का भाव बहुत ज्यादा मात्रा में आ गया है। यह सब मैं इसलिए नहीं कह रही हूं कि मैं शिक्षकों का आदर करना नहीं जानती, या फिर मैं शिक्षकों के खिलाफ हूं।