रोमांस और महिलाओं की सोच

रोमांस और महिलाओं की सोच

नाम के बनते रिश्ते आज की नारी यौन सुख की चाहत में इतनी फंस चुकी है कि गलत सही की बात पहले दिमाग में नहीं आती और अगर आती भी है तो उसे बखूबी तरीके से संभाल भी लेती है। अब रिश्ते सिर्फ नाममात्र के रह गए हैं। रिश्तों में रह गया है सिर्फ ग्लैमर लाइफ व अपनी जरूरतें, जिसके चलते पर पुरूष की बनने में देर नहीं लगती। आज की नारी आधुनिकता की चादर में लिफ्टी हुई इतनी आगे निकल आई है कि वह हर चीज में खुद की खुशी ढूंढती है। वह दूसरे का दामन थामने और पहल करने में भी पीछे नहीं रहती।