रिश्तों में पहले तनाव फिर तलाक

रिश्तों में पहले तनाव फिर तलाक

विवाह के समय सात फेरे लेते समय जन्म-जन्मांतर तक साथ निभाने के लिए जो वादे लिये जाते थे। वे अब सब जैसे एक फिल्मी डायलॉग की तरह ही रह गए है। आज की नई पीढी इन वादों और कसमों को कितना निभा पाएगी। यह कोई दावे के साथ नहीं कह सकता। स्वयं पति-पत्नी भी इस बात को नहीं जानते कि उनका रिश्ता कितना निभ पाएगा। आए दिन अदालतों में तलाक के मामले आते रहते हैं। तभी तो लिवइन-रिलेशनशिप का चलन बढता जाता है। इस मामलों के चलते अब न तो घर-परिवार के लोग इस का विरोध करते हैं और न ही सोसायटी कोई रिएक्ट करती है।
1-शादीशुदा जिंदगी में हर कोई खुशियां ढूंढता है लेकिन जब हर रास्ता बंद होता है तो व्यक्ति की सहनशक्ति जवाब दे जाती है तलाक ही एकमात्र जरिया रह जाता है।
2-ऎसे में अब जरूरत है विवाह की परिभाषा को नया रूप देने की, विवाह वंश वृद्धि, कामवासना की पूर्ति या पारिवारिक अथवा सामाजिक दस्तूरों को निभाते रहने का जरिया नहीं है यह दो व्यक्तियों के बीच बराबरी का गठबंधन है। भावनात्मक संबंधों का तालमेल होता है।
3-आज की नई पीढी मतभेद होने पर न तो तनाव में जीना चाहती है। और न ही लंबे समय तक खींचना चाहती है। इन्हें अगर कोई समझौते का रास्ता नजर नहीं आता है तो यह अलग होना ही पंसद करते हैं।
4-महिलाएं आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर हैं तनाव में जीने की बात आज की पढी लिखी आत्मनिर्भर महिलाओं को मंजूर नहीं, क्योंकि भारतीय समाज की बदलती हुई गतिशीलता में विवाह जैसे बंधन को एक अलग नजरिए से देखा जाने लगा है। तभी तो लिवइन-रिलेशनशिप का चलन बढता जा रहा है।
5- आर्थिक रूप से सुदृढ होने पर ही महिलाएं स्वतंत्र होने का विचार कर पाती हैं। अपने बल पर अपने बच्चाों को स्वस्थ भविष्य दे पाने का सपना संजो सकती हैं।
6-नये जमाने की पीढी ववलिटी ऑफ लाइफ के साथ जिंदगी को पूरी तरह से जीने की चाह रखती है। जिंदगी मे तनाव के साथ जीना कायरता मानी जाती है न कि सहनशीलता का परिचय।
7-पॉजिटिव सोच हेल्दी कमिटमेंट व मैच्योरिटी का माध्यम है शादी, जितनी जल्दी पुरानी मान्यताओं में संशोधन होगा उतने ही बेहतर होते जाएंगे पति-पत्नी के रिश्ते। मनोवैज्ञानिकों का मानना है- तलाक की स्थिति निpय ही कोई अनुकूल स्थिति नहीं है और जब तनाव किसी भी प्रकार के नियंत्रण से परे हो जाता है तो तलाक को ही एक मात्र रास्ता समझा जाता है। लेकिन विचारों में मतभेद हो तो उसे मिटाने की कोशिश होनी चाहिए। पति-पत्नी को अपनी सहनशीलता बढानी चाहिए। तलाक न केवल व्यक्तिगत रूप से प्रभावित करता है, बल्कि सेहत, करियर व रिश्ते हर जगह प्रतिकूल प्रभाव डालता है।