Womens day Special: शिल्पी गुप्ता की पोइट्री आॅन पाॅटरी

Womens day Special: शिल्पी गुप्ता की पोइट्री आॅन पाॅटरी

इनकी कलाकृतियों का सफर

बात करें उनकी कलाकृतियों की तो उसकी कहानी शुरू होती है एक पहिए से जहां एक थालीनुमा, गोल, अंडाकार या चैकोर आकृतियां बनाई जाती है और फिर उन्हें सुखने के लिए छोड़ दिया है। उसके बाद का काम ब्रश का है जिसमें किसी भी गलती की कोई गुंजाइश नहीं है। यहां नक्काशी और अन्य कलाकृतियां बनाई जाती है। कलर चढ़ाने या धोने से पहले कलाकार यह कल्पना कर सकता है कि तैयार कलाकृति किसी तरह और कैसी दिखने वाली है। पहले राउण्ड में की गई भट्टा फायरिंग (पकाने की विधि) भी एक अग्निपरीक्षा की तरह है जिसमें 1200 डिग्री तापमान पर इसे 12 घंटों तक पकाया जाता है। इस दौरान इनके टूटने की संभावना सबसे ज्यादा होती है। इन्हें ठंडा होने में 6 से 8 घंटों का समय लगता है और उसे बाद इनपर ग्लेजिंग होती है जो शानदार रचनात्मकता की एक और तकनीक है। फाइनल राउण्ड में कलर किया जाता है जिसमें कलाकार अपने मन के भावों को कलर के जरिए उकेरने का प्रयास करती हैं।

आर्ट ही नहीं, बल्कि एक शब्दावली

शिल्पा बताती हैं कि उनकी प्रेरणा पोइट्री आॅन पाॅटरी एक आर्ट ही नहीं, बल्कि एक शब्दावली भी है। उनकी प्रत्येक कलाकृति के पीछे कोई प्रेरणा या कोई दोहा है। रूमी की पोइट्री से प्रेरित उनका सिमेरिक ट्रायल कला प्रेमियों के बीच सबसे ज्यादा लोकप्रिय है।

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