Womens day Special: शिल्पी गुप्ता की पोइट्री आॅन पाॅटरी
जितनी सुंदर इनकी कविता है, उतनी ही यह शानदार कलाकार हैं जो बड़े ही अच्छे ढंग से शब्दों को हकीकत के रंगों में उकेरती हैं। यह है बैंग्लुरू की शिल्पी गुप्ता, जो पेशे से एक स्टूडियो पोटर हैं और पिछले 15 साल से इस प्रोफेशन में हैं। उनकी इस आर्ट को सिरेमिक ट्रेल्स कहा जाता है। वें बताती हैं कि उन्हें इस काम की प्रेरणा कविताओं से आती है। खासकर उन जगहों से जहां वें जा चुकी हैं। शिल्पा हमेशा से बर्तन बनाने की कला से मोहित रही हैं और आखिर में यूएसए के एक स्टूडियो में उन्हें इस आर्ट को समझने और सीखने का मौका मिला। जब शिल्पी इस आर्ट को पूरी तरह समझ चुकी हैं, अब एक एक्जीबीशन्स (प्रदर्शनी) में भाग ले रही हैं ताकि खुद को एक पेशेवर तरीके से स्थापित कर सके। फिलहाल शिल्पा साउथ बैंग्लुरू में उनके स्टूडियो पर काम करती हैं।
शिल्पी इस आर्ट को भारत में ले आई हैं और अकेले ही अपने इस जूनून पर काम शुरू कर रही हैं। इसके साथ ही एडवांस पाॅटरी पर भी फोकस कर रही हैं। शिल्पी को नित नए प्रयोग करना और नई रचनात्मकताएं पेश करना पसंद है। इसी की खोज है उनकी नई पोइट्री आॅन पोट्री थीम जिसे और अधिक रचनात्मक बनाने के लिए खुद को चुनौती दी। उन्होंने अपनी पहली प्रदर्शनी ललित कला केन्द्र, चेन्नई में लगाई थी जो काफी सफल रही। अब शिल्पा अपनी सोलो एक्जीबीशन बैंग्लुरू में लगाने जा रही हैं।
उनकी इस नई कलाकृति का नाम है पोइट्री आॅन पाॅटरी। उनका यह नया कलेक्शन रूमी की शायरियों और भगवान बुद्ध की शिक्षाओं से प्रेरित है। उनकी यह आर्ट किसी भी कविता से किसी भी तरह से कमतर नहीं है। उनकी सोलो एक्जीबीशन 1 और 2 अप्रैल को बैग्लुरू में शांतिरोड गैलरी में होनी है।
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