बच्चों के सामने फोन में लगे रहते हैं पेरेंट्स, पड़ता है बुरा प्रभाव

बच्चों के सामने फोन में लगे रहते हैं पेरेंट्स, पड़ता है बुरा प्रभाव

आजकल के पेरेंट्स अक्सर अपने बच्चों के सामने भी फोन में लगे रहते हैं। यह एक आम समस्या है जो कई परिवारों में देखी जा रही है। जब पेरेंट्स अपने बच्चों के साथ समय बिता रहे होते हैं, तो वे अपने फोन पर व्यस्त रहते हैं और बच्चों की जरूरतों और भावनाओं को नजरअंदाज कर देते हैं। इससे बच्चों को लगता है कि वे अपने पेरेंट्स के लिए महत्वपूर्ण नहीं हैं और इससे उनके आत्मविश्वास और आत्मसम्मान पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है। इसके अलावा, जब पेरेंट्स फोन में व्यस्त रहते हैं, तो वे अपने बच्चों के साथ ठीक से बातचीत नहीं कर पाते हैं और उनके सवालों और जरूरतों को समझ नहीं पाते हैं।

आत्मविश्वास और आत्मसम्मान पर नकारात्मक प्रभाव
जब पेरेंट्स अपने बच्चों के सामने फोन में लगे रहते हैं, तो इससे बच्चों को लगता है कि वे अपने पेरेंट्स के लिए महत्वपूर्ण नहीं हैं। इससे उनके आत्मविश्वास और आत्मसम्मान पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है, और वे अपने आप को कम महत्व का महसूस करने लगते हैं।

पेरेंट्स के साथ रिश्ते पर प्रभाव
जब पेरेंट्स फोन में व्यस्त रहते हैं, तो वे अपने बच्चों के साथ ठीक से बातचीत नहीं कर पाते हैं और उनके सवालों और जरूरतों को समझ नहीं पाते हैं। इससे पेरेंट्स और बच्चों के बीच का रिश्ता कमजोर हो सकता है, और बच्चे अपने पेरेंट्स के साथ जुड़ने में असमर्थ महसूस कर सकते हैं।

भावनात्मक जरूरतों की अनदेखी
जब पेरेंट्स फोन में लगे रहते हैं, तो वे अपने बच्चों की भावनात्मक जरूरतों को नजरअंदाज कर देते हैं। इससे बच्चों को लगता है कि उनके पेरेंट्स उनकी भावनाओं को समझने और उनकी जरूरतों को पूरा करने में असमर्थ हैं।

बच्चों के विकास पर प्रभाव
जब पेरेंट्स फोन में व्यस्त रहते हैं, तो वे अपने बच्चों के विकास पर ध्यान नहीं दे पाते हैं। इससे बच्चों के शारीरिक, मानसिक और भावनात्मक विकास पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है, और वे अपने लक्ष्यों को प्राप्त करने में असमर्थ महसूस कर सकते हैं।

बच्चों में तनाव और चिंता
जब पेरेंट्स फोन में लगे रहते हैं, तो इससे बच्चों में तनाव और चिंता बढ़ सकती है। बच्चे अपने पेरेंट्स के ध्यान की कमी को महसूस करते हैं और इससे उन्हें लगता है कि वे अपने पेरेंट्स के लिए महत्वपूर्ण नहीं हैं।

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