माता-पिता की पहली पसंद कोचिंग
आज के आधुनिक दौर में जिस तरह की जिन्दगी होगी हैं उसको देखते हुए अभिभावक बच्चों की पढाई-लिखाई को लेकर बेहद जागरूक होते जा रहे हैं। वे अपने बच्चों का एडमिशन अच्छे स्कूल में कराते हैं ताकि उनका बेस मजबूत बने। बच्चो भी अभिभावकों की उम्मीदों को पूरा करने लिए जी जान से मेहनत करते हैं। लेकिन जैसे-जैसे वे बडे होते जाते हैं, उनके सामने कैरियर की चुनौती बढने लगती है। स्कूली शिक्षा के दौरान प्रतियोगी परीक्षाओं का दबाव बच्चों पर दिखने लगता है बच्चो इस चुनौती का सामना बिना किसी परेशानी के कर पाएं, इसके लिए अभिभावक बच्चों को कोचिंग कराते हैं। लेकिन अकसर यह देखा गया है कि बच्चों के मन में कोचिंग के बिना आगे ना बढ पाने की भावना कब घर कर जाती है, पता ही नहीं चलता। बच्चे तो कोचिंग पर निर्भर हो ही जाते हैं, साथ ही माता-पिता भी बच्चो के पढाई की जिम्मेदारी कोचिंग पर डालकर बेफि क्र हो जाते हैं। कोचिंग संस्थान लोगों की जरूरत को बखूबी जानते हैं। इसीलिए खुद को ऎसे पेश करते हैं मानो जैसे कोचिंग किए बिना बच्चो के करियर की नैया पार ही नहीं लग सकती। अगर नतीजे उम्मीद के अनुसार नहीं मिलते, तो बच्चो हीनभावना के शिकार हो जाते हैं और अभिभावाकों को लगता है कि उन्होंने तो बच्चो की पढाई के लिए हर वो कोशिश की जो वो कर सकते थे लेकिन, फिर भी कमी कहां रह गई।