नीम कडवा मगर 100 बीमारियों की दवा
नीम एक ऎसा पेड है जो सबसे ज्यादा कडवा होता है परंतु अपने गुणों के कारण चिकित्सा जगत में इसका अपना एक अहम स्थान है। नीम रक्त साफ करता है। दाद, खाज, सफेद दाग और ब्लडप्रेशर में नीम की पत्ती का रस लेना लाभदायक है। नीम कीडों को मारता है इसलिये इसकी पत्ती कपडों और अनाजों में रखे जाते हैं। नीम की दस पत्तियां रोजाना खायें रक्तदोष नहीं होगा। नीम के पंचांग जड, छाल, टहनियां, फू ल पत्ते और निंबोरी उपयोगी हैं। इन्ही कारणों से हमारे पुराणों में नीम को अमृत के समान माना गया है। अमृत क्या है-जो मरते को जिंदा करे। अंधे को आंख दे और निर्बल को बल दे। नीम इंसान को तो बल देता ही है पेड-पौधों को भी बल देता है जैसे- खेतों में नीम के पानी की दवा बनाकर डाला जाता है। नीम आंख-कान-नाक-गले और चेहरे के लिए उपयोगी आंखों में मोतियाबिंद और रतौंधी हो जाने पर नीम के तेल को सलाई से आंखों में अंजन की तरह से लगाएं। आंखों में सूजन हो जाने पर नीम के पत्ते को पीस कर अगर दाई आंख में है तो बाएं पैर के अंगूठे पर नीम की पत्ती को पीस कर लेप करें। ऎसा अगर बाई आंख में हो तो दाएं अंगूठे पर लेप करें, आंखों की लाली व सूजन ठीक हो जाएगी। अगर कान में दर्द हो या फोडाफ-फुं सी हो तो नीम या निंबोली को पीस कर उसका रस कानों मे टपका दें। कान में कीडा गया हो तो नीम की पत्तियों का रस गुनगुना करके इसमें चुटकी भर नमक डालकर टपकाएं, एक बार में ही कीडा मर जाएगा।