दो दिलों का मिलन नहीं बल्कि शर्तो के घेरे में आये सात फेरे
परिवार और समाज अब मायने नहीं रखता, बस, पति-पत्नी ही साथ रहें, लेकिन वहां भी शर्त यह है कि अपने हिसाबा से जीने की आजादी हो।
परिवार और समाज अब मायने नहीं रखता, बस, पति-पत्नी ही साथ रहें, लेकिन वहां भी शर्त यह है कि अपने हिसाबा से जीने की आजादी हो।