दो दिलों का मिलन नहीं बल्कि शर्तो के घेरे में आये सात फेरे
विवाह के पूरे मायने ही बदल गए हैं। जहां पहले दो बेहतर इंसान और परिवार एक बेहतर रिश्ते के जरिए बेहतर जिन्दगी की कल्पना को ही विवाह की सार्थकता मानते थे, अपने साथी के सुख-दुख में अपना सुख-दुख तलाशते थे, वहीं अब सब कुद बदल गया है। लोग पैसे और स्टेटस में सुख खोजने लगे हैं और आजादी में ही एक बेहतर जिन्दगी की कल्पना की जाने लगी है।