संतान सुख की कमी से वैवाहिक जीवन में बाधा
शादीशुदा संबंधों पर प्रभाव अपेक्षाओं की शुरूआत तो शादी वाले दिन से ही हो जाती है, जब रिश्तेदार विवाहिता को पुत्रवती होने और दूधों नहाओ पूतो फलों जैसे आशीर्वादौं की झडी लगा देते हैं। शादी के बाद दुल्हन के लिए घर-परिवार सब कुछ नया होता है। यहां तालमेल बिठाने के लिए और अपने जीवनसाथी को जानने-समझने के लिए उसे कुछ टाइम की जरूरत होती है, लेकिन इन सब बातों कोदरकिनार करते हुए उसे एक और बडी जिम्मेदारी उठाने के लिए कहा जाता है। भले ही वह इसके लिए तैयार हो या न हो। ऎसा करनेसे पति-पत्नी के आपसी संबंधों पर भी असर पडता है। बडों को समझना चाहिए कि माता-पिता बनने का फैसला पति-पत्नी का निजी फैसला हो, क्योंकि अंतत: उन्हें बच्चो की जिम्मेदारी उठानी है।