प्यार करें लेकिन गरिमा न खोएं
वे सोचते हैं, प्रेमिका के लिए इससे उचित पात्र हो ही नहीं सकता। उस युवती की ओर से कोई सकारात्मक संकेत न मिलने पर वे अपना काम-काज छोडकर दिन-रात इसी जुगाड में रहते हैं कि उसे आकर्षित करने का क्या उपाय किया जाए। कोई ऎसा मंत्र मिल जाए जिसके प्रभाव से मूर्ति में हलचल आ जाए। बिना संवाद बनाए, विचार जाने, किसी विशेष स्थिति में आपके अपेक्षित व्यवहार पर प्रतिक्रिया जाने किसी से प्रेम नहीं हो सकता। हो सकता है आप सोच बैठे हों कि जब कभी उदास हों, परेशान हों तो उसकी आपके मनमाफिक वैसी प्रतिक्रिया होगी पर यदि वैसी प्रतिक्रिया नहीं हुई और वह बहुत आत्मकेंद्रित निकली तब भी क्या आपको वह उतनी ही प्यारी लगेगी। आपके लिए उसे वैसी फि क्र न हो जैसी आप अपेक्षा करते हैं। उसमें केवल खुद को लेकर संवेदनशीलता हो, आपके दुख-सुख को समझने की, महसूस करने की उसमें ताकत न हो। बिना किसी से संवाद बनाए, विभिन्न हालात में साथ निभाए यह सुनिश्चित करना कठिन है।