प्यार और रोमांस में शर्म का परदा अब...
रोमांस की चाह वैसी ही होती है, जैसी खानेपीने व जीवन की अन्य जरूरतों की। इस इच्छा को दबाने या छिपाने की जितनी कोशिश की जाती है,यह उतनी ही तीव्रता से बदलती होती।
रोमांस की चाह वैसी ही होती है, जैसी खानेपीने व जीवन की अन्य जरूरतों की। इस इच्छा को दबाने या छिपाने की जितनी कोशिश की जाती है,यह उतनी ही तीव्रता से बदलती होती।