क्योंकि करवा चौथ है महिलाओं के स्पेशल डे
करवा चौथ का व्रत महिलाएं अपने सुखमय दाम्पत्य जीवन के लिए रखती हैं। शास्त्रों में दो विशिष्ट संदभों की वजह से करवा चौथ व्रत के पुरातन स्वरूप का प्रमाण मिलता है। इस व्रत के साथ शिव-पार्वती के उल्लेख की वजह से इसके अनादिकाल का पता चलता है। ऎसा माना जाता है कि यह व्रत सिर्फ विवाहिता महिलाएं के लिए है परंतु अविवाहित कन्याओं द्वारा भी इस व्रत को किए जाने के प्रमाण उपलब्ध हैं। फर्क सिर्फ इतना ही है कि सौभाग्यवती महिलाएं चंद्रदर्शन के पशात व्रत तोडती हैं और कन्याएं आसमान में पहले तारे के दर्शन के बाद व्रत समाप्त करती हैं। संभव है कि लोकोक्ति पहला तारा मैंने देखा, मेरी मर्जी पूरी इस व्रत के कारण ही शुरू हुई हो। करवा चौथ व्रत में शिव, पार्वती, कार्तिकेय और चंद्रमा की पूजा की जाती है। इस व्रत के लिए चंद्रोदय के समय चतुर्थी होना जरूरी माना गया है। इस व्रत में करवे का विशेष रूप से प्रयोग होता है।