आपकी कुंडली का पितृदोष बनते काम तो नहीं बिगाड रहा?
यदि ये हैं लक्षण तो आप है पितृदोष से पीडित
यदि कुंडली में अष्टमेश राहु के नक्षत्र में तथा राहु अष्टमेश
के नक्षत्र में हो तथा लग्नेश निर्बल एवं पीडित हो तो व्यक्ति जीवनपर्यन्त
पितृदोष एवं प्रेतबाधा से कष्ट भोगता है।
व्यक्ति का जन्म सूर्य-चन्द्र ग्रहण में हो तथा घटित होने वाले
ग्रहण का सम्बन्ध उसकी जन्मकुंडली के लग्न, षष्ठ अथवा अष्टम भाव में बन रहा
हो तो व्यक्ति पितृदोष एवं अन्य अतृप्त आत्माओं के प्रभाव से पीडित रहता
है। इन्हें सिर में भारी दर्द, मिर्गी, हिस्टीरिया इत्यादि भीषण रोग का
सामना भी करना पडता है।