इस मंदिर में पूरी होती है। पुत्र प्राя┐╜प्त की मनोकामना
एक बार राजा शिकार करने जंगल में आए हुए थे कि घूमते.घूमते उन्हें माता की पिंडी के दर्शन हुए। राजा के कोई पुत्र नहीं था। इसलिए राजा ने उसी समय माता से पुत्र प्राя┐╜प्त की मन्नत मांगी। राजा की इच्छा पूरी होने पर उन्होंने यहां मंदिर का निर्माण करवाया। यहां के बारे में प्रचलित कथा है कि माता सती के पिता राजा दक्ष प्रजापति द्वारा आयोजित यज्ञ में भगवान शिव को आमंत्रित नहीं किए जाने से नाराज माता सती ने यज्ञ में कूदकर यज्ञ को विध्वंस कर दिया था।
भगवान शिव जब माता सती के मृत शरीर को लेकर जा रहे थेए तब माता का चू़डा इस घनघोर जंगल में गिर गया थाए जिसके बाद यहां पर माता की पिंडी स्थापित होने के साथ ही भव्य मंदिर का निर्माण किया गया। यह प्राचीन सिद्ध पीठ मंदिर कालांतर से श्रद्धालुओं की आस्था का केंद्र है। यहां माता के दर्शन करने के लिए श्रद्धालु दूरदराज से आते हैं। इन दिनों मंदिर में भव्य मेले का आयोजन भी होता है।