जानिये: मोहर्रम में ताजिया के महत्व को
ताजियादारी को मानने वालों की मान्यता है कि जब कोई पुत्र की मन्नत पूरी होती है तो उस बच्चे को हर साल मोहर्रम माह में शेर की तरह सजाया जाता है। यह शेर घर-घर जाकर चंदा-रोटी मांगते हैं और ताजियों के जुलूस में तरह-तरह के करतब भी दिखाते हैं। इसी तरह ताजियों की एक शक्ल दुलदुल घोडे भी हैं। दुलदुल एक मादा खच्चर को कहते हैं। पैगम्बर हजरत मोहम्मद सल्ल को इस्कंदरिया के एक शासक ने दुलदुल भेंट किया था जिसे बाद में हजरत मोहम्मद ने अपने दामाद हजरत अली को दे दिया था।