जन्माष्टमी है: पवित्र और खास
श्रीकृष्ण पूर्णतया निर्विकारी है। तभी तो उनके अंगों के साथ भी लोग कमल शब्द जोडते हैं। जैसे- कमलमुख, कमलनयन, करकमल, आदि। उनका स्वरूप चैतन्य है। श्रीकृष्ण ने तो द्रोपती का चीर बढाकर उसे अपमानित होनेे से बचाया था।
श्रीकृष्ण पूर्णतया निर्विकारी है। तभी तो उनके अंगों के साथ भी लोग कमल शब्द जोडते हैं। जैसे- कमलमुख, कमलनयन, करकमल, आदि। उनका स्वरूप चैतन्य है। श्रीकृष्ण ने तो द्रोपती का चीर बढाकर उसे अपमानित होनेे से बचाया था।