कितने रंग छुपे हैं प्यार के अहसास में...

कितने रंग छुपे हैं प्यार के अहसास में...

कौन-सा जादू है इस नन्हे शब्द प्यार में कि सुनते ही रोम-रोम में शहद का मीठा अहसास जाग उठता है। जिसे लव हुआ नहीं, उसकी इच्छा है कि हो जाए, जिसे हो चुका है वह अपने सारे एफर्ट्स उसे बनाए रखने में लगा रहा है। प्रेम, प्यार, इश्क, मोहब्बत, नेह, प्रीति, अनुराग, चाहत, आशिकी, लव। ओह! कितने-कितने नाम। और मतलब कितना स्वीट, सोबर और ब्यूटीफूल। आज प्रेम जैसा कोमल शब्द उस मखमली लगाव का अहसास क्यों नहीं कराता जो वह पहले कराता रहा है? सच्चा प्यार फीजिकल एट्रेक्शन नहीं है, बल्कि सुंदर सजीले रंगों की मनभावन बरखा है प्यार। अपने वेलेंटाइन की एक झलक देख लेने की पिंक बेचैनी है प्यार। उसके पास होने अहसास को याद करने की ऑरेंज इच्छा है प्यार। उसकी आवाज सुनने को तरसते कानों की रेड गुदगुदी है प्यार।

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