फलों में पौष्टिक तत्व होने से अनेक रोगों से रखे दूर

फलों में पौष्टिक तत्व होने से अनेक रोगों से रखे दूर

चीकू- कच्चे चीकू बिना स्वाद के और पके चीकू बहुत मीठे और स्वादिष्ट होते हैं। गोल चीकू की अपेक्षा लम्बे गोल चीकू श्रेष्ठ माने जाते हैं। पके चीकू का नाश्ते और फ लाहार में उपयोग होता है। कुछ लोग पके चीकू का हलवा बनाकर खाते हैं। इसका हलवा बहुत ही स्वादिष्ट होता है। चीकू खाने से शरीर में विशेष प्रकार की ताजगी और फु र्ती आती है। इसमें शर्करा की मात्रा अधिक होती है। यह खून में घुलकर ताजगी देती है। चीकू खाने से आंतों की शक्ति बढती है और आंतें अधिक मजबूत होती हैं। चीकू के पेड से `चिकल` नामक पदार्थ पैदा होता है। चीकू के पेड की छाल से चिकना दूधिया- `रस-चिकल` नामक गोंद निकाला जाता है। उससे चबाने का गोंद च्युंइगम बनता है। यह छोटी-छोटी वस्तुओं को जोडने के काम आता है। दंत विज्ञान से संबन्धित शल्य क्रिया में `ट्रांसमीशन बेल्ट्स` बनाने में इसका उपयोग होता है। `गटापची` नामक पदार्थ के बदले भी इसका उपयोग होता है। चीकू की छाल बाधक, शक्तिवर्द्धक और बुखार नाशक होती है। इस छाल में टैनिन होता है। दक्षिण लुजोन के मछुए नौकाओं के पाल और मछलियों के पकडने के साधन रंगने के लिए इसकी छाल का उपयोग करते हैं। चीकू के फ ल शीतल, पित्तनाशक, पौष्टिक, मीठे और रूचिकारक हैं। इसमें शर्क रा का अंश ज्यादा होता है। यह पचने में भारी होता है। चीकू ज्वर के रोगियों के लिए पयिकारक है। भोजन के बाद यदि चीकू का सेवन किया जाए तो यह निश्चित रूप से लाभ प्रदान करता है।