नया साल...नयी उम्मीदें...नए सपनें और...
365 दिन के लम्बे इंतार के बाद नया साल मनाने की रात फिर से आ रही है। ठंडी हवाओं का चलना, नई कलियों का खिलना और प्रकृति का नवयौवना सा रूप नववर्ष के आगमन का संदेश देता है। जब सारी पृथ्वी पूरी मस्ती में होती है, तो भला युवा होती नई पीढी कैसे गुमसुम रह सकती है और रहे भी क्यों। नए साल का स्वागत करना हामारा कत्र्तव्य है और परिवर्तन हमारा जीवन। सिर्फ ध्यान इस बात का रखना है कि मस्ती में कहीं कुछ गलत ना हो जाएं। आज वैश्विक एकता का युग है। संपूर्ण संसार के देशों ने एकदूसरे को किसी ना किसी रूप में प्रभावित किया है, कभी सांस्कृतिक तौर पर, तो कभी बाजार बन कर। इसीलिए तो नववर्ष आज सारी दुनिया का त्यौहार बन गया है। इस दिन सभी कुछ नया करने की चाहत रखते हैं।
बात जब भी नवीनता को अपनाने की होती है, तो आलोचनाओं के तीर पसोपेश में डाल देते हैं। सामाजिक बंधन अपनी धारा से हटना नहीं चाहते और युवा मन नवीनता की चाह में सारे बंधन तोड देना चाहता है।