वूमन्स डे-गलैमर जगत की अभिनेत्रियां क्या सोचती...

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बिपाशा बासु मैं एक नारी के रूप में बहुत खुश हूं, मैंने ऎसा कभी नहीं सोचा कि काश में लडका होती और यदि ऎसा हो भी जाता तो शायद में बहुत बेदर्द दिल की होती। क्योंकि लडके ऎसे ही होते हैं। इसमें उनकी गलती नहीं। भगवान ने उन्हें ऎसा ही बनाया है। औरत भावनात्मक रूप से मजबूत होती है। वह पुरूष की अपेक्षा ज्यादा मेहनती होती हैं। इसलिए मुझे अपने औरत होने पर गर्व है।