अपनेआप से भी करें प्यार

अपनेआप से भी करें प्यार

खुद से प्यार करना इसलिए जरूरी है क्योंकि यदि आप खुद से प्रेम नहीं करते तो कोई दूसरा आपसे कैसे प्रेम कर सकता है! महात्मा बुद्ध इसकी दार्शनिक व्याख्या कुछ ऎसे करते हैं, स्वयं के बनो, खुद की सराहना करो और अपने स्व से प्रेम करो, ब्र±मांड की हर चीज से आपको खुद प्रेम हो जाएगा। दूसरी ओर महान चिंतक अरस्तू इसे जीनियस और अयोग्य व्यक्तियों के संदर्भ में परिभाषित करते हुए कहते हैं, जीनियस खुद अपना सर्वोत्तम मित्र होता है और वह अपनी निजता का पूरा आनंद लेता है, जबकि वह व्यक्ति जिसमें कोई गुण या योग्यता नहीं है, खुद अपना सबसे बडा शत्रु होता है और वह अपनी तनहाई से डरता है। विलियम शेक्सपियर खुद से घृणा करने को बहुत बडा अपराध मानते हैं।