एकादशी निर्जला व्रत करने से समस्त इच्छाएं पूर्ण...
हिन्दू धर्म में एकादशी का व्रत महत्वपूर्ण स्थान रखता है। प्रत्येक वर्ष चौबीस एकादशियां होती हैं। जब अधिकमास या मलमास आता है। तब इनकी संख्या बढकर 26 हो जाती है।
ज्येष्ठ मास की शुक्ल पक्ष की एकादशी को निर्जला एकादशी कहते हैं। इस व्रत में पानी का पीना वर्जित है इसलिये इस निर्जला एकादशी कहते हैं। इस व्रत को करनेसे समस्त इच्छाएं पूर्ण होती हैं और श्री हरि विष्ण प्रसन्न होते हैं।
धन, पुत्र और विद्या मनोवांछित फलों की प्राप्ति होती है। परिवार में सुख तथा शांति रहती है इसलिए यह व्रत सर्वश्रेष्ठ और अतिफलदायक है। एकादशी व्रत का पाल न करने वाले जातक को दशमी के दिन से ही शास्त्रों के अनुरूप नियमों का पालन करना चाहिए जैसे...