प्रेग्नेंसी के दौरान सेक्स को हां या ना
मां बनना हर औरत के लिए एक खूबसूरत अहसास होता है लेकिन इसका मतलब यह
नहीं कि इन नौ महीनो के बीच सेक्शुअल डिजायर से बिल्कुल दूर रहा जाए।
हालांकि, अबतक प्रेग्नेंसी के दौरान सेक्स वर्जित माना गया है, लेकिन कई
अध्ययन बताते हैं कि वास्तव में प्रेग्नेंसी के दौरान सेक्स लाभदायक हो
सकता है।
प्रेग्नेंसी के पहले तीन महीने के दौरान गाइनेकोलॉजिस्ट इंटरकोर्स के लिए
मना करती है, लेकिन यह सच है कि इस दौरान इंटिमेसी वाला एहसास भी बढ जाता
है। हालांकि यह डर बरकरार रहता है कि कहीं बेबी को कोई नुकसान तो नहीं
होगाक् अब चौथे महीने की यह शुरूआत थोडा ज्यादा अजीब है, क्योंकि पेट
थोडा-बहुत दिखने लगा है और ऎसे में हमें पोजिशन वाइज़ खुद को बदलना पडता
है, लेकिन इंटिमेसी में कोई बदलाव नहीं आता।"
प्रेग्नेंसी के दौरान शरीर में शारीरिक और भावनात्मक दोनों तरह के बदलाव
आते हैं। इस दौरान महिलाएं जहां खुद को विशाल और बेचैनी से भरा महसूस करने
लगती हैं, वहीं पुरूषों को प्रेग्नेंट बॉडी काफी इरॉटिक और डिजायरेबल लगने
लगती है। तीन महीना काफी संवेदनशील होता है और इस दौरान कपल्स को सेक्स
नहीं करने की सलाह दी जाती हैं। इंटरकोर्स और इंटिमेसी दो अलग-अलग चीजें
हैं। इस दौरान इंटिमेट की सलाह भले दी जा सकती है, लेकिन इंटरकोर्स के लिए
कतई नहीं दी जा सकती। इससे भी बढकर यह कि हर पति को उस वक्त अपनी पत्नि की
भावनाओं में होने वाले बदलाव को समझने की कोशिश करनी चाहिए। उनमें मां बनने
की चाहत काफी ज्यादा होती है। वैसे इस दौरान वेजाइनल लुब्रिकेशन भी काफी
बढ जाता है।
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प्रेग्नेंसी के दौरान महिलाओं में जो हॉर्मोनल उतार-चढाव होते हैं उससे
उनके प्यार करने के तरीके में भी बदलाव आता है। कई महिलाओं में जी मिचलाना,
उल्टियां जैसी समस्याएं पहले तीन महीने के दौरान उन्हें सेक्स से उन्हें
दूर कर देता है और चौथा महीना शुरू होते ही उन्हें एक नया सा और खुशियों
भरा अहसास होता है, क्योंकि तब तक पेट हल्का सा बाहर की ओर उभर आता है और
फि र छठा महीना शुरू होते ही उनमें अपने आप सेक्स को लेकर डिजायर में कमी
आने लगती है।"
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