रोक लें अपने प्यारभरे रिश्ते की शाम को ढलते-ढलते

रोक लें अपने प्यारभरे रिश्ते की शाम को ढलते-ढलते

पहले तो एकदूसरे को न बदलें
याद रखिए कि जो जैसा है वह वैसा ही रहता है। आप उसमें सुधार भले ही ले आएं, लेकिन उसे पूरे तौर पर बदलना नामुकिन है। जो परिवर्तन आप अपने साथी में लाना चाहते हैं उन्हें अपने पर रख कर देखिए कि क्या आप उस तरह से अपने को बदल सकते हैं। नहीं, तो फिर दूसरे से यह उम्मीद क्यों रखना। व्यक्ति जिस वातावरण और समाज में पला-बढा होता है, उसके व्यक्तितत्व में कुछ गुण अपने-आपआ जाते हैं। जिन्हें बदलना कठिन होता है।

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