रोमांस में शर्म कैसी
रोमांस की चाह वैसी ही होती है, जैसी खानेपीने व जीवन की अन्य जरूरतों की। इस इच्छा को छुपाने या दबाने की जितनी कोशिश की जाती है, यह उतनी ही तीव्रता से बलवती होती है।
रोमांस की चाह वैसी ही होती है, जैसी खानेपीने व जीवन की अन्य जरूरतों की। इस इच्छा को छुपाने या दबाने की जितनी कोशिश की जाती है, यह उतनी ही तीव्रता से बलवती होती है।