शनिदेव की साढ़ेसाती से बचने के लिए करें ये उपाय

शनिदेव की साढ़ेसाती से बचने के लिए करें ये उपाय

यह बात हम सभी जानते है कि शनिवार का दिन भगवान शनिदेव का समर्पित होता है। भगवान शनिदेव एकमात्र ऐसे देवता हैं जिनके क्रोध से देवता भी कांपते हैं। ये जिसपर अपनी वक्र दृष्टि डालते हैं उसका विनाश होने लगता है। शनि न्याय के देवता माने जाते हैं, न्याय का नाता धर्म के पालन से है और अच्छे-बुरे कर्म न्याय का आधार होते हैं।

कहा जाता है कि जो भी जातक शनि से जुड़े दान करता है, उसे बढ़ते कर्ज से राहत पाने में मदद मिलती है। शत्रुओं पर विजय प्राप्त होती है साथ ही बीमारियों से भी छुटकारा मिलता है यहीं नहीं शनिदेव की पूजा से साढ़ेसाती के प्रकोप से भी छुटकारा मिलता है। यदि आप भी भगवान शनिदेव की साढ़ेसाती से परेशान हैं तो आज हम आपको शनिदेव के प्रकोप से बचने के कुछ उपाय बताएंगे जिन्हें करने से आपको शनिदेव से प्रकोप का सामना नहीं करना पड़ेगा।

शनिदेव की साढ़ेसाती से बचने के उपाय

(1) हर शनिवार के दिन लाल वस्त्र धारण करके हनुमान जी के सामने खड़े हों, हनुमानजी की पूजा से शनिदेव शांत रहते हैं।

(2) जिस जातक पर भगवान शनि की वक्र दृष्टि पड़ जाती है, उसे लम्बी बीमारी की समस्या का सामना करना पड़ता है। ऐसे जातक को हर काम में विलम्ब और रुकावट आती है। नौकरी के जुड़े रास्ते में कठिनाई आती है, अगर शनिदेव की पूजा विधि-विधान से की जाए तो तुरंत लाभकारी होती है।

(3) नियमित रूप से शनिवार और मंगलवार को हनुमान जी को चमेली के तेल का दीपक करें , अगर आप दर्शन करें तो इससे आपको अधिक लाभ होगा।

(4) मान्यता है कि शनिदेव का आधिपत्य लौह धातु पर है इसी कारण लोहे का छल्ला शनि देव की शक्तियों को नियंत्रित करने के काम आता है। कहा जाता है कि लोहे से बना छल्ला शनि की पीड़ा को काफी हद तक कम कर देता है। लोहे के छल्ले को शनिवार के अलावा किसी भी दिन लाएं. छल्ले को शनिवार की सुबह सरसों के तेल में डुबोकर रख दें।

शनिदेव के व्रत करने का विधि-विधान

(1) शनिवार के दिन शनि देव का व्रत कोई भी कर सकता है। चाहे वो स्त्री हो या पुरुष। इस व्रत को करने का सबसे अच्छा समय श्रावण मास के श्रेष्ठ शनिवार का है क्योंकि इस दिन व्रत आरंभ करने से विशेष लाभ प्राप्त होता है।

(2) शनिदेव की प्रतिमा को पंचामृत से स्नान कराए और प्रतिमा को काले पुष्प , धुप , दीप , प्रसाद चढांए।

(3) महीने के पहले शनिवार को उड़द का भात , दूसरे शनिवार को खीर , तीसरे शनिवार को खजला और अंतिम शनिवार को घी और पूरी से शनिदेव को भोग लगाए।

(4) शनिवार के दिन काले कुते और कौए को तेल की चुपड़ी रोटी और गुलाब जामुन खिलाया तो अति लाभकारी होता है।

(5) शनिदेव की पूजा करने के बाद पीपल के पेड़ को सूत का धागा लपेटते हुए सात बार परिक्रमा करे और साथ ही पेड़ की भी पूजा करें।

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