टीनएजर से ना हो मनमुटाव
टीनएजर की बहसबाजी होना, अपनी कहना, उसकी बात ध्यानपूर्वक सुनना, कहीं सहमत कहीं असहमत होना, अपना पक्ष रखना स्वस्थ संबंध की निशानी है। इससे बच्चे अपनी भावनाओं को संभालना सीखते हैं।
टीनएजर की बहसबाजी होना, अपनी कहना, उसकी बात ध्यानपूर्वक सुनना, कहीं सहमत कहीं असहमत होना, अपना पक्ष रखना स्वस्थ संबंध की निशानी है। इससे बच्चे अपनी भावनाओं को संभालना सीखते हैं।