रोमांस स्ट्रेस को मत दो न्योता...
असुरक्षा की भावना आज के वर्किग पत्नि-पत्नी के रिश्तों में आजीवन साथ रह पाने की निश्चिंतता नहीं है। डर बना ही रहता है कि कब अलग हो जाना पडे क्योंकि दोनों के अहं होते हैं जो कभी भी टकरा सकते हैं। दोनों में कोई भी समझौते के लिए तैयार नहंी होना चाहता है। लिहाजा महिलाओं के मन मे अधिक चिंता रहती है। वे ज्यादा से ज्यादा कमाने की कोशिश में रहती है। वे सुरक्षित होना चाहती हैं। पुरूषों को �स्त्रयों की सोच में स्वार्थ नजर आता है। इस तरह की स्थिति तनाव व टकराहट को जन्म देती है।