हिंदू धर्म में गाय को पवित्र मानते हैं
गाय प्रत्यक्ष देवता है। उसमें सर्वांशत: सत्वगुण विद्यमान रहते हैं। शास्त्रों में गाय के गोबर जैसे तत्व में महालक्ष्मी का निवास बतलाया गया है। गोमय से लिप्त हो जाने पर पृथ्वी पवित्र यज्ञभूमि बन जाती है और वहां से सारे भूत प्रेत एवं अन्य तामसिक प्राणी पदार्थ अपसृत हो जाते हैं। गोमूत्र गंगाजी का निवास होता है। जो पाप किसी प्रायश्चित से दूर नहीं होते, वे गोमूत्र सहित अन्य चार गव्य पदार्थों से युक्त होकर पंचगव्य रूप में अस्थि, मन, प्राण और आत्मा में स्थित पाप समूहों के प्रक्षालन की क्षमता रखहते हैं। गौ को साक्षात देव स्वरूप मानकर उसकी रक्षा न केवल प्रत्येक मानव मात्र का कर्तव्य है वरन् धर्म भी है। यह एक ऎसी प्रत्यक्ष देवता है जो अनन्तकाल में सम्प्रदाय और मत मतान्तरों की श्रृंखला से ऊपर उठकर मानवमात्र को अपना कृपा प्रसाद प्रदान करती आ रही है। समृद्धि की कामना वाले विश्व के हर मानव के लिए गौ आराध्य के सदृश प्रणम्य एवं पूजनीय है। तीर्थ स्थानों में जाकर स्त्रान और दान से, ब्रा�मण भोजन से, सम्पूर्ण व्रत उपवास, तप, दान, आराधन, पृथ्वी परिRमा, वेद स्वाध्याय तथा समस्त यज्ञों की दीक्षा ग्रहण करने पर जो पुण्य प्राप्त होता है, वही पुण्य बुद्धिमान मानव गौ को हरी घास देकर प्राप्त कर लेता है।