शादी से पहले लें कोचिंग, होगा लाभ
क्यों जरूरी है
मनोचिकित्सक मानते हैं कि सफल रिश्ते के लिए जरूरी है कि
युगल दंपती अपने तन-मन को पहले राजी करें। मनोचिकित्सकों के अनुसार विवाह
कोचिंग की परंपरा हमारे यहां नहीं है लेकिन विवाह से पहले घर बसाने के लिए
व्यावहारिक बातों की शिक्षा जरूर दी जाती है। वेडिंग कोचिंग विदेशी
कॉन्सेप्ट है। लेकिन विवाह के योग्य लडके-लडकियों के लिए यह जरूरी है।
विवाह कोचिंग एक तरह से प्रीमैरिटल काउंसलिंग है। वेडिंग कोचिंग में सफल
वैवाहिक जीवन के लिए पति-पत्नी को एक-दूसरे के विचारों में सामंजस्य बैठाने
की बातें बतायी जाती है। एक-दूसरे का वास्तविकता से परिचय कराया जाता है।
दोनों का व्यक्तित्व, संवाद, परंपरा, परिवार, निकटता, सेक्सुअलिटी और
भविष्य के लक्ष्यों पर बातें होती है। युगलों पर निर्भर है कि वे किसी बात
को ज्यादा तवज्जो देते हैं या किसी विषय में अपनी हिचक दूर करना चाहते हैं।
उनके विषय के मुताबिक कोचिंग क्लास में विशेष चर्चा होती है। युगलों की
इच्छा के मुताबिक कभी समूह में या फिर कभी अकेले में उन्हें काउंसलिंग दी
जाती है। काउंसलरों के मुताबिक युवक और युवतियां अकेले में काउंसलिंग लेने
की तुलना में समूह में एक-दूसरे से ज्यादा खुल पाते हैं। आपके शहर में
वेडिंग कोचिंग की सुविधा न भी हो तो मैरिज काउंसलर के पास जा कर आप 2
सिटिंग ले सकती हैं। गर्भनिरोध, सेक्स संबंधी किसी तरह की जानकारी स्त्री
रोग विशेषज्ञ से भी ले सकती हैं।
विवाह सिर्फ 2 लोगों के जीवन को ही आपस
में नहीं जोडता बल्कि 2 परिवार, 2 समाज और 2 विभिन्न परंपराओं को जोडता
है। वेडिंग कोचिंग में सिर्फ होने वाले दूल्हा-दुल्हन की काउंसलिंग ही
नहीं, माता-पिता व सास-ससुर की भी काउंसलिंग होती है जिससे सामान्य मनमुटाव
को सुलझाने में मदद मिल सके। विवाह से पहले जब दो लोग एक-दूसरे के बारे
में काफी कुछ जान समझ लेते हैं तो सकारात्मक ऊर्जा के साथ मजबूत रिश्ते की
शुरुआत होती है।
इसके अलावा ऐसे रिश्तेदार, जिन्हें खुश कर पाना मुश्किल
हो, उनके बारे में भी बातें मालूम होती हैं और उनके साथ सामंजस्य बैठाने
में सहूलियत हो जाती है। आगे चलकर रिश्ते में किसी तरह की कडवाहट पैदा हो
और एक-दूसरे के बारे में नकारात्मक सोच मन में पनपे और तानेभरी बातें जवाब
में निकले, इससे बेहतर है कि पहले अनुमान लगा लिया जाए कि आप भावी जीवनसाथी
के साथ हंसी-खुशी निभा पाएंगे या नहीं। विवाह के चंद सालों के बाद
पति-पत्नी एक-दूसरे से कहने लगें कि अगर शादी के पहले मुझे मालूम होता कि
तुम ऐसे थे या तुम ऐसी थी तो मैं कभी तुमसे शादी नहीं करती या मैं शादी
नहीं करता। या पता नहीं तुम्हारी बहुत अजीत सी आदतें और सोच है,पहले मालूम
होता, तो किसी और को चुनती तो ऐसे वाक्य न केवल दिल को ठेस पहुंचाते हैं
बल्कि एक-दूसरे से दूर भी करते हैं तो क्यों न पहले वैवाहिक रिश्ते को
सहेजने व दिल जीतने के लिए समझदारी का पाठ पढा जाए।