शादी से पहले लें कोचिंग, होगा लाभ
वेडिंग स्ट्रेस कोचिंग
अमेरिका व ब्रिटेन जैसे समृद्ध देशों में तलाक की
संख्या ज्यादा हाने के कारण पति-पति की वेडिंग काउंसलिंग करायी जाती थी।
लेकिन अब वेडिंग स्ट्रेस कोचिंग सेंटर भी खुलने लगे हैं जिससे विवाह के बाद
ही नहीं, विवाह से पहले स्त्री-पुरुष को एक-दूसरे की पसंद-नापसंद,
इच्छा-अनिच्छा आदि को समझने में आसानी हो। एक-दूसरे की तन-मन की भाषा के
साथ-साथ फैमिली प्लानिंग पर विचार कर सकें। यह स्टडी कोचिंग से बिलकुल अलग
है। इसके लिए सालभर या 6 महीने क्लास लेने की जरूरत नहीं होती। सिर्फ 2-3
सीटिंग ही काफी है।
भारत में भी बदलते सामाजिक परिवेश और तलाक की बढती
संख्या को दखतेे हुए विवाह से पहले युवक-युवतियों की काउंसलिंग शुरू होने
लगी है। महानगरों में इक्के-दुक्के वेडिंग कोचिंग सेंटर भी खुलने लगे हैं।
सवाल उठता है कि भारत में पहले कभी इस तरह की शिक्षा की जरूरत क्यों नहीं
पडी? अब क्यों जरूरत महसूस होने लगी है? भारतीय समाज में विवाह से पहले
पढाए जाने वाला पाठ हास्यास्पद लगता है, लेकिन मैरिज काउंसलर इसे बदलते हुए
सामाजिक परिवेश के लिए जरूरी मानते हैं।
मैरिज काउंसलर की माने तो आज
की पीढी में पहले की तुलना में समर्पण, धैर्य और त्याग जैसी भावना काफी कम
होने लगी है। गृहस्थी की गाडी चलाने के लिए पति-पत्नी नाम के दोनों पहियों
में तालमेल जरूरी है। लेकिन अकसर पति-पत्नी में आपसी समझ का अभाव दिखता है।
कामकाजी दुल्हनों को कई बार संयुक्त परिवार ही नहीं, एकल परिवार के
दायित्वों को निभाने में भी दिक्कत होती है। कई बार पति के साथ अहम का
टकराव भी होता है। नतीजा, वैवाहिक जीवन के उतार-चढाव को मजबूती के साथ
संभाल पाना दोनों के लिए कठिन होता है। इसीलिए युवक-युवती को सफल और सुखद
परिवार बनाने के लिए खास शिक्षा की जरूरत है। इस खास शिक्षा यानी वेडिंग
कोचिंग का प्रचार होने में अभी वक्त लगेगा क्योंकि परीक्षा में बढिया
नंबरों से पास होने के लिए माता-पिता अपने बच्चे को कोचिंग दिलवाते हैं,
लेकिन बडे होकर यही बच्चे वैवाहिक रिश्तों की हर परीक्षा में सफल हो सकें,
इस पर विचार नहीं किया जाता।