कमाल के टिप्स पत्नी की बेरूखी दूर करने के
शादी जीवन का एक खूबसूरत पडाव है। हर किसे के जीवन में ये समय आता है। विवाह के बाद जीवन साथी को हमराही, हमसफर, हमदर्द ना जाने कितने ही ऎसे नामों से नवाजा गया है। इन नामों को अर्थ भी है और मह�व भी है। लेकिन अफसोस कि अधिकांश पुरूष महिला के सिर्फ पति ही बन कर रह जाते हैं। हमदर्द या हमराही नहीं बन पाते हैं। तुम्हारा दर्द मेरा है और मेरा दर्द तुम्हारा है यह भाव मन में होने पर ही प्यार जंवा होता है और प्यार के जवां होने पर ही जीवन साथी करीब आता है। नजदीकिया तभी बढती हैं जब दर्द को काफी पास से समझने और दूर करने की कोशिश की जाती है। पति देव ने पत्नी का दर्द समझना तो दूर संवेदना व्यक्त नहीं की अफसोस जाहिर नहीं किया तो उसे पत्नी की निकटता भी नहीं मिली। उलटे वह अपनी पत्नी की नजर में खूंखार, बर्बर और निर्दयी व्यक्ति बन गया। जरा आप ही सोचिए, जो पति की नजर में एक खूंखर और बर्बर व्यक्ति बन जाएगा तो क्या कभी वह प्यार की बूंद को पी सकेगा!