"छोटा परिवार" के 6 बडे साइड इफेक्ट्स...

परिवार के क्या मायने होते हैं, यह भारत में रहने वाला हर शख्स अच्छी तरह से जानता है। हमारी यही संस्कृति हमें दूसरे मुल्कों से अलग और ज्यादा सभ्य बनाती है। लेकिन वक्त की मांग और अब बदलते दौर ने परिवार के स्वरूप को छोटा कर दिया है जिसमें से दादा-दादी, नाना-नानी, भाई-बहन हट गए हैं और रह गए हैं तो बस "हम दो- हमारे दो", या फिर एक या फिर एक भी नहीं। जी हां, इसे न्यूक्लीयर फैमिली कहते हैं। बडे शहरों के छोटे घरों ने ही इस न्यूक्लीयर फैमिली के स्वरूप को न सिर्फ जन्म दिया बल्कि काफी पॉप्युलर भी बना दिया। आज की लाइफस्टाइल में न्यूक्लीयर फैमिली से ज्यादा कुछ सोचा भी नहीं जा सकता और इसी न्यूक्लीयर फैमिली ने अब बहुत से साइड इफेक्ट्स को जन्म देना शुरू कर दिया है। यह अलग बात है कि इन साइड इफेक्ट्स में कुछ सकारात्मक भी हैं और कुछ नकारात्मक भी।