वैवाहिक जीवन में इगो का क्या काम

वैवाहिक जीवन में इगो का क्या काम

बेबी की जिम्मेदारी दोनों की

पहले मम्मियों के घर में रहने के कारण बच्चें को बाहर घुमाने-फिराने की जिम्मेदारी पापा की होती थी। अब पापा-मम्मी साथ घूम रहे हों तो भी बच्चें मां के बजाय पापा की गोद में नजर आते हैं। इतना ही नहीं, बच्चें की नैपी चेंज करने से ले कर बोतल से दूध पिलाने में भी पुरूष खूब रूचि ले रहे हैं। उनका मानना है कि मां बनने की तरह बाप बनना भी चुनौतीपूर्ण और खुशियों भरा होता है। लगभग कई महिलाएं भी मानती हैं कि उनके पतियों को बच्चें को नाश्ता कराना, मुंह धुलवाना, नहाना-धुलाना और उनके साथ समय बिताना भी अच्छा लगता है।