जानें क्यों: सात फेरों में अब आई ये शर्तें
विवाह ना सिर्फ एक सामाजिक प्रथा है, बल्कि व्यक्तिगत तौर पर भी एक जरूरत है, लेकिन बदलते दौर के साथ जब सब कुछ इतनी तेजी से बदल रहा है, तो उसका सबसे ज्यादा असर हमारे संबंधों पर ही पडा है और विवाह भी इससे अछूता नहीं। अब शादी ना सात जन्मों का साथ है, ना ही दो दिलों का मिलन। विवाह में भी अब अपनी सुविधानुसार जीने की आजादी और तौर-तरीकों की शर्तें आ गई हैं। विवाह में दो परिवारों संबंध जुडने की बात अब मायने नहीं रखती, बल्कि दो अलग-अलग लोग किस तरह से और कब तक खुशी-खुशी साथ रह सकते हैं, विवाह आज इस बात पर टिके हैं।