पढ़ाईकरते वक्तवास्तुकेइननियमोंकारखेंध्यान
करियर की दृष्टि से
अनुभव से यह ज्ञात हुआ है कि प्रशासनिक
सेवा, शिक्षा,
रेलवे आदि सेवाओं की तैयारी करने
वालों को पूर्व दिशा में ही अपने लिए पढ़ाई हेतु स्थान का चयन करना चाहिए। मेडिकल, कानून, टेक्निकल, कंप्यूटर आदि क्षेत्रों
से जुड़े लोगों को अपनी पढ़ाई का कमरा दक्षिण दिशा में रखना चाहिए। अकाउंट, संगीत, गायन, बैंक, व्यापार प्रबंधन आदि की तैयारी करने वालो को अपनी पढ़ाई के लिए उत्तर
दिशा में व्यवस्था करनी चाहिए, जबकि रिसर्च, साहित्य, इतिहास, दर्शनशास्त्र एवं दूसरे गंभीर विषयों की तैयारी
करने वालों को पश्चिम दिशा में ही अपने लिए पढ़ाई का कमरा रखना चाहिए। वास्तु के अनुसार, पढ़ाई का कमरा व्यवस्थित करने से मानसिक एकाग्रता में वृद्धि होती है तथा अपने
लक्ष्य को प्राप्त करने में सफलता मिलती है।
इन बातों का भी रखें
ध्यान
पढ़ाई करने वाले बच्चों और युवाओं
को पश्चिम दिशा की ओर सिर करके सोना चाहिए। पढ़ने की मेज पर उत्तर-पूर्व या ईशान कोण
में भगवान गणेश, सरस्वती, हनुमान अथवा अपने ईष्ट
देवी-देवता का चित्र लगाना और पढ़ाई से पूर्व उन्हें करबद्ध प्रणाम करना शुभ होता है।
पढ़ने के कमरे की दीवारों पर हल्का पीला, हल्का गुलाबी या हल्का
हरा रंग हो, तो बुद्धि, ज्ञान, स्फूर्ति और स्मरण शक्ति में वृद्धि होने लगती है। जिस कमरे या स्थान को पढ़ाई
के लिए प्रयोग किया जाता हो, वहां कभी भी शराब, मांसाहार, धूम्रपान अथवा नशीले पदार्थों का सेवन या कोई
दूसरा गलत कार्य नहीं करना चाहिए अन्यथा बुद्धि भ्रष्ट होने लगती है। पढ़ाई करते समय
मन एकाग्र रहे, इसके लिए कमरे में गुलाब या चंदन की धूपबत्ती
या अगरबत्ती जलाना अच्छा रहता है। पढ़ने वाली मेज को दीवार से सटाकर रखना वास्तु दोष
माना गया है। सोने के बिस्तर पर बैठकर या लेटकर पढ़ाई करना भी उचित नहीं है। पढ़ने वाली
मेज पर ग्लोब या तांबे का पिरामिड रखने से भी पढ़ने में मन लगता है और नकारात्मक ऊर्जा
दूर होती है।