वास्तु व फेंगशुई टिप्स से बनाएं बाथरूम को...
शौचालय - शौचालय के लिए श्रेष्ठ स्थान है नैऋत्य कोण तथा दक्षिण दिशा के मध्य का स्थान। यहीं पर बना शौचालय शुभ होता है और वास्तु सम्मत निर्माण को पूर्ण करने तथा विकार न उत्पन्न होने की संभावना को जन्म देता है, यथा सम्भव यहां पर स्त्रानागार नहीं बनाएं।
चारों मुख्य दिशाओं उत्तर, पूर्वक, पश्चिम तथा दक्षिण मध्य में शौचालय नहीं बनाया जाना चाहिए। चारों प्रमुख कोणों नैऋत्य, ईशान, वायव्य तथा अगिAकोण में तथा ब्रrा स्थान में शौचालय नहीं बनाया जाना चाहिए।
नैऋत्य कोण तथा दक्षिण मध्य दिशा के बीच में बनाने के अतिरिक्त भी निम्न स्थानों पर काम चलाऊ शौचालय बनाए जा सकते हैं।
नैऋत्य तथा पश्चिम के मध्य,
पश्चिम मध्य तथा वायव्य के मध्य
ईशान तथा पूर्व दिशा मध्य के बीच
पूर्व दिशा मध्य तथा अग्निकोण के मध्य उत्तर दिशा में कहीं भी शौचालय नहीं बनाया जाना चाहिए। उत्तर दिशा में शौचालय न केवल अच्छे द्वार की संभावना को समाप्त कर देता है अपितु जलाशय एवं औषधि हेतु प्रशस्त स्थानों को भी दूषित कर सकता है, इसके अतिरिक्त उत्तर में शौचालय नहीं बनाने से इसे हल्का रखने में भी सहायता मिलती है।