जानिये:आशा पारेख की कुछ अनजानी बातों के बारे में
आशा की मां ने इन्हें बचपन में ही क्लासिकल डांस की शिक्षा दी। सिर्फ 10 साल थी इनकी जब वह फिल्मी दुनिया में आ गई। पहली बाल-फिल्म थी, आसमान जो 1954 में रिलीज हुई। बेबी आशा की एक-दो फिल्में और आईं। इसी साल बिमल रॉय ने आशा से प्रभावित होकर एक फिल्म बाप-बेटी बनाई थी। परन्तु फिल्म चली नहीं। कुछ वर्ष बाद विजय भट्ट ने अपनी फिल्म में आशा को यह कहकर अभिनेत्री की भूमिका नहीं दी कि उसमें एक्टे्रस के गुण नहीं हैं। लेकिन 24 घंटे के भीतर ही आशा की किस्मत बदली। निर्माता सुबोध मुखर्जी व निर्देशक नसीर हुसैन ने आशा को अपनी नई फिल्म ‘दिल देके देखो’ 1959 के लिए हीरोइन चुन लिया।