जानिए:दगाबाज इश्क के अनोखे किस्से...
कहीं न कहीं
पारिवारिक माहौल भी उनके ऐसे रिश्तों को बढावा देने का कारण बन रहे हैं।
यदि उनके परिवार में माता-पिता कारिश्ता आपस में ठीक नहीं रहता है तो बच्चा
शादी, भावना और रिश्तों में यकीन जैसी चीजों में विश्वास नहीं रखता है और
वो किसी एक साथी से भावनात्मक रूप से नहीं जुड पाता है। भले ही आज की पीढी
के लिये मन से ज्यादा तन को महत्व देना सहज लगता हो लेकिन कहीं न कहीं यह
सच है कि देह से आकर्षित होकर बनाये गये रिश्ते उनके लिये नुकसानदायक साबित
हो रहे हैं। भावनात्मक यप से अपने पार्टनर से नहीं जडने के कारण शादियां
भी जल्दी टूट रही है। शादी के बाद अन्य लोगों से रिश्ते बनाना उन्हें कुछ
क्षण के लिये सुख दे सकता है लेकिन इन्हीं क्षणों की वजह से वो अपना भविष्य
दांव पर लगा रहे हैं। रिश्तों में विश्वास खत्म हो रहा है और रिश्तों में
सामंजस्य बैठा पाने की इच्छाशक्ति में कमी आ रही है। साथ ही समाज में वो
अपनी छवि पर भी कहीं ना कहीं दाग भी लगा रहें हें। इसलिये दैहिक आकर्षण के
बाद बनने वाले रिश्तों की उम्र ज्यादा नहीं होती है। लेकिन सच्चाई फिर भी
यही है कि आज की पीढी देह की नींव पर रिश्ते बनाने में जुटी है। अब आप ही
बतायें कि सामाजिक सरोकार से जुडे इस मद्दे पर आप की क्या राय है। क्या यह
ठीक है।