राजस्थान की एक सरपंच लड़कियों के कल्याण के लिए अपनी सैलरी करती है दान
जयपुर । राजस्थान की एक महिला सरपंच अपनी निजी सुख-सुविधाओं को दरकिनार कर
लड़कियों को पढ़ाई और खेल में उत्कृष्टता हासिल करने में मदद कर उन्हें
सशक्त बनाने के मिशन पर काम कर रही है, जिसके लिए वह उदारता से अपना वेतन
दान करती हैं।
इस महिला सरपंच का नाम नीरू यादव है, वह अक्टूबर 2020
में पहली बार सरपंच बनी, तब से वह अपना वेतन बालिकाओं के लिए और स्कूल और
खेल के मैदानों के निर्माण के लिए दान कर रही हैं।
वह घर-घर जाकर
लड़कियों को कुशल बनाने और नौकरी के लिए जागरूक कर रही हैं। गांव की गौतम
कहती हैं, हम गांव की सरपंच को खेल में प्रतिभा की तलाश में घर-घर जाकर
देखकर हैरान रह गए। उन्होंने न केवल छात्राओं की काउंसलिंग की बल्कि यह भी
सुनिश्चित किया कि वह एक बेहतरीन हॉकी टीम बनाएं।
सरपंच नीरू ने
कहा, मैं हरियाणा से आती हूं और लड़कियों को छोटी उम्र से ही अलग-अलग खेलों
में खेलते देखा है। इसलिए, मैं चाहती हूं कि राजस्थान में लड़कियां भी
अपनी पहचान बनाएं और उत्कृष्टता हासिल करें।
हाल ही में, उन्होंने
अपने दो साल की सैलरी दान कर बालिका टीम के लिए हॉकी किट खरीदी, उन्हें खेल
के मैदान में ले जाने के लिए निजी वाहन की व्यवस्था की और उनके प्रशिक्षण
के लिए एक निजी कोच भी नियुक्त किया। परिणाम आश्चर्यजनक था। कभी अपने गांव
से बाहर नहीं निकलने वाली इन लड़कियों ने आसपास के गांवों के अपने
प्रतिस्पर्धियों को मात दी और पहली बार जिला स्तर पर खेली। अब वह राज्य और
राष्ट्रीय स्तर पर भी खेलने की ख्वाहिश रखती हैं।
एक अन्य ग्रामीण,
संजय कुमार ने कहा, हमने नीरू को चिलचिलाती धूप में खड़े होकर स्कूल जाने
वाली सड़कों के निर्माणकार्य को देखते हुए देखा है। अगर उन्हें कोई समस्या
दिखती है, तो वह संबंधित अधिकारियों से लड़ती है।
आईएएनएस से बात
करते हुए नीरू ने कहा, सरपंच ही एक ऐसा पद है, जो केंद्र सरकार या राज्य
सरकार की योजनाओं का लाभ सीधे जनता को हस्तांतरित करता है। मैं बस अपनी
स्थिति को सही ठहराने की कोशिश कर रही हूं। एक सरपंच के लिए यह बहुत
महत्वपूर्ण है कि वह सरकार की योजनाओं का लाभ जनता तक पहुंचाए ताकि जमीनी
स्तर पर प्रभाव पड़े।
उन्होंने आगे कहा, समाज को बदलने के लिए
महिलाओं को चेंज एजेंट बनने की जरूरत है। पिछले कुछ सालों में हमने समाज
में बदलाव आते देखा है। अब महिलाएं और पुरुष कंधे से कंधा मिलाकर काम कर
रही हैं। गांव में भी हमें जागरूकता फैलाने और लैंगिक भेदभाव और दहेज जैसी
सामाजिक वर्जनाओं को दूर करने की जरूरत है। इस दिशा में बालिका शिक्षा
अद्भुत काम करती है और इसलिए मैं इस बात पर जोर दे रही हूं कि मेरे गांव की
हर बेटी स्कूल जाए। जब सड़क नहीं थी, तो मैंने सुनिश्चित किया कि सड़क
बनाई जाए ताकि बारिश के दौरान हमारी बेटियों को किसी भी तरह की परेशानी का
सामना न करना पड़े।
नीरू को सरकारी स्कूल भवन और अन्य बुनियादी
ढांचे के विकास में उनके सहयोग के लिए राज्य सरकार के शिक्षा विभाग द्वारा
सम्मानित भी किया गया है। उन्होंने कहा, फिलहाल, मेरा उद्देश्य अपने गांव
की लड़कियों को राष्ट्रीय स्काउट और गाइड जंबोरी में ले जाना है ताकि
उन्हें राष्ट्रीय स्तर पर पहचान मिल सके और इसलिए मैं और ग्रामीण एक टीम के
रूप में एक साथ काम कर रहे हैं। नीरू खुद बीएससी, एमएससी, बीएड, एमएड हैं
और पीएचडी की हुई हैं।
उन्होंने कहा, शिक्षा एक व्यक्ति के सोचने के
तरीके में बहुत अंतर लाती है। एक शिक्षित व्यक्ति हर जगह एक सकारात्मक
अंतर लाता है। इसलिए मैं लड़कियों को अध्ययन या खेल में खुद के लिए एक
मुकाम बनाने के लिए प्रोत्साहित कर रही हूं।
--आईएएनएस