बोलने में छुपा है हैल्थ का राज
ऎसी दशा में सिर्फ शिक्षक ही नहीं, सभी व्यक्तियों की यही स्थिति होती है और सभी मनुष्य अभिव्यक्ति के अभाव में तनाव से थोडा-बहुत अवश्य ही ग्रसित रहते हैं। तनाव के कारण व्यक्तियों में संवेगात्मक आस्थरता आ जाती है। उनका मानसिक संतुलन बिगड जाता है। फलस्वरूप वे अवांछित व्यवहार या समाजविरोधी व्यवहार करने को बाध्य होते हैं। ऎसे अवांछित व्यवहार ही मानसिक अस्वस्थता का संकेत देते हैं। तनाव से ग्रस्त या संवेगात्मक रूप से अस्थिर व्यक्ति के रक्त में कुछ रसायनिक तत्वों जैसे जिंक, सीसा, पारा इत्यादि की मात्रा असंतुलित हो जाती है। साथ ही ग्रंथियों के स्त्राव भी अनिश्चित मात्रा में एवं अनियमित ढंग से होने लगते है जिसकी शारीरिक स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव पडता है। अत: मानसिक स्वास्थ्य के साथ-साथ शारीरिक स्वास्थ्य को बनाये रखने के लिये भी तनाव से या अन्य अवांछित संवेगात्मक परिस्थितियों से मुक्त होना जरूरी है। चूंकि तनावपूर्ण बातों को अभिव्यक्त कर देने से तनाव से मुक्ति मिलती है, अत: मानसिक एवं शारीरिक स्वास्थ्य को बनाये रखने के लिए अभिव्यक्ति अनिवार्य है।